कार्तिक मास हिंदू पंचांग के अनुसार सबसे पवित्र महीना माना जाता है और यह भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। इसे“दामोदर मास” भी कहा जाता है क्योंकि इसी मास में भगवान श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से बंधकर एक विशेष लीला रची थी, जिसे दामोदर लीला कहा जाता है।
कार्तिक मास और भक्ति साधना
कार्तिक मास को भक्ति, तपस्या और सेवा का महीना कहा गया है। इस दौरान भगवान की पूजा, दीपदान, और व्रत का विशेष महत्व होता है। जो भी भक्त कार्तिक मास में सच्चे मन से भगवान की आराधना करता है और उनके नाम का कीर्तन करता है, उसे पापों से मुक्ति और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस मास में की जाने वाली भक्ति का प्रभाव अत्यधिक शक्तिशाली होता है। यहां तक कि बहुत साधारण से साधारण सेवा भी इस महीने में भगवान की कृपा को प्राप्त करती है। इसलिए, यह महीना हर भक्त के लिए एक अवसर है कि वे भगवान से निकटता प्राप्त करें।
भगवान श्रीकृष्ण की प्रमुख लीलाएँ
1. दामोदर लीला
दामोदर लीला कार्तिक मास की सबसे प्रसिद्ध घटना है। यह उस समय की लीला है, जब माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण को मक्खन चोरी करते हुए पकड़ा और उन्हें एक रस्सी से ऊखल (मोर्टार) से बांध दिया।
- इस घटना का विशेष अर्थ है कि भगवान श्रीकृष्ण, जो संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं, अपनी भक्त माता के प्रेम के कारण बंधन स्वीकार कर लेते हैं।
- इस लीला से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम के आगे स्वयं को भी समर्पित कर देते हैं।
- दामोदर अष्टकम इस लीला का वर्णन करता है और कार्तिक मास के दौरान इसका गान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तगण प्रतिदिन भगवान के सामने दीप जलाकर दामोदर अष्टकम का गान करते हैं।
2. गोवर्धन लीला
गोवर्धन लीला कार्तिक मास में मनाई जाती है। इस लीला में श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को सात दिनों तक वर्षा से बचाया।
- इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
- गोवर्धन पूजा कार्तिक मास में विशेष रूप से की जाती है, जिसमें भक्त गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप से पूजन करते हैं और अन्नकूट प्रसाद अर्पित करते हैं।
3. बहुलाष्टमी
बहुलाष्टमी को राधाकुंड प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जब श्रीकृष्ण और राधारानी ने राधाकुंड और श्यामकुंड का प्राकट्य किया था।
- भक्तगण इस दिन राधाकुंड में स्नान करते हैं और मानते हैं कि इस स्नान से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।
- कार्तिक मास में बहुलाष्टमी व्रत रखने और राधाकुंड में स्नान का विशेष महत्व होता है।
दीपदान का महत्व
दीपदान कार्तिक मास का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस महीने में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को दीप अर्पित करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
- प्रतिदिन शाम को दीपदान करने से जीवन में अंधकार का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में ज्ञान और भक्ति का प्रकाश फैलता है।
- माना जाता है कि जो भी भक्त इस मास में तुलसी और भगवान के समक्ष दीप जलाता है, उसे असीम कृपा और जीवनभर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
दामोदर अष्टकम का गान करते हुए भगवान को दीप अर्पित करने की परंपरा है। इस स्तोत्र में भगवान की लीला का वर्णन किया गया है और इसे सुनकर भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक मास में पूजन विधि और नियम
कार्तिक मास में विशेष रूप से निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है:
- स्नान और संकल्प: हर दिन प्रातःकाल पवित्र नदी या घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- भगवान की पूजा और आरती: प्रतिदिन तुलसी, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- दीपदान: शाम के समय दीप जलाकर भगवान को अर्पित करना चाहिए।
- भजन और कीर्तन: कार्तिक मास में श्रीकृष्ण और राधारानी के भजन-कीर्तन करना विशेष पुण्यदायी होता है।
- व्रत और उपवास: कई भक्त पूरे मास व्रत रखते हैं या केवल एक समय भोजन करते हैं।
- सत्संग और सेवा: इस पवित्र महीने में सत्संग में भाग लेना और जरूरतमंदों की सेवा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
कार्तिक मास का आध्यात्मिक महत्व
कार्तिक मास हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाएं। इस मास में किए गए छोटे से छोटे कार्य का भी बहुत बड़ा फल प्राप्त होता है।
- भक्ति और प्रेम: कार्तिक मास हमें यह सिखाता है कि भगवान केवल प्रेम और भक्ति के भूखे हैं।
- क्षमा और शांति: यह महीना हमें अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर जीवन में क्षमा और शांति का अभ्यास करने की प्रेरणा देता है।
- आध्यात्मिक विकास: यह महीना आत्मचिंतन और भगवान की शरण में जाने का समय है, जो हमारे जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाता है।
निष्कर्ष
कार्तिक मास भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को प्रकट करने का एक अनमोल अवसर है। इस महीने में दामोदर लीला, गोवर्धन पूजा, और दीपदान के माध्यम से हम अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बना सकते हैं।
हरे कृष्ण मंत्र का जाप और भगवान के चरणों में दीपदान करने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और हमें आंतरिक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस पवित्र मास में सभी भक्तों को चाहिए कि वे पूरे मन से भगवान की सेवा और भक्ति में लीन हों।
“हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।”
इस मंत्र का निरंतर जप करते हुए इस कार्तिक मास में भगवान को दीप अर्पित करें और दामोदर अष्टकम का गान करें। भगवान की कृपा आप सभी पर बनी रहे और आपके जीवन में आनंद और शांति का संचार हो!