बुद्ध पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के अनुसार बुद्ध जयंती के रूप में मनाई जाती है, जो सिद्धार्थ गौतम के जन्म तिथि के रूप में भी जानी जाती है। यह त्योहार बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उनके लिए एक पवित्र अवसर है। इस दिन का आयोजन विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जिसमें पूजा, सत्संग, ध्यान और दान की प्रथाएं शामिल होती हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व बुद्ध धर्म में उसके संस्थापक, भगवान बुद्ध के जीवन और संदेश को याद करने का है। इस दिन पर लोग उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अमल में लाने का संकल्प करते हैं और अपने आत्मिक विकास के मार्ग पर चलने का निर्धारण करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा को विशेष रूप से बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर में मनाया जाता है, जो बुद्ध के जीवन के महत्वपूर्ण स्थल हैं। इन स्थलों पर लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ जमा होती है और वहां पर्व के उत्सव की धूमधाम से भरी होती है।
इस दिन पर लोग ध्यान करने, बोधगया के महाबोधि वृक्ष के नीचे बैठकर मन्त्र जप करने, और बौद्ध मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करने का प्रयास करते हैं। साथ ही, धर्मिक ग्रंथों का पाठ, संगीत और कथाएँ सुनना भी इस दिन की प्रमुख गतिविधियों में शामिल होता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। लोग गरीबों को आहार, वस्त्र, धन, और अन्य आवश्यक वस्त्र सामग्री देते हैं और उनकी सहायता करने का प्रयास करते हैं। यह एक पावन अवसर है जब मानवता के प्रति दया और सहानुभूति की भावना को स्थायी बनाने का प्रयास किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। इस दिन को बौद्ध संस्कृति और भारतीय समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जो समय-समय पर अपने आप को नई और बेहतर दिशा में बदलने की क्षमता रखत